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Medical, Paramedical, and Pharmacy Courses After 12th Grade

After passing 12th class, students remain in confusion that which course they should do. We have brought a list of selected courses for such students, which will clear their confusion and help them in a new direction of life.


एमबीबीएस (MBBS)

एमबीबीएस कोर्स भारतीय छात्र-छात्राओं के मुख्य केंद्र बिन्दुओ में से एक है,  एमबीबीएस कोर्स मेडिकल में प्रवेश के इच्छुक छात्रों के लिए एक प्रमुख विकल्प बना हुआ है। एमबीबीएस का पूरा नाम बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर ऑफ सर्जरी है, और यह एक अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम है जो छात्रों को व्यापक चिकित्सा ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव प्रदान करता है। एमबीबीएस एक कठिन कार्यक्रम है जो स्नातकों को योग्य डॉक्टरों के रूप में काम करने के लिए तैयार करता है। एमबीबीएस पूरा करने के बाद कुछ डॉक्टर चिकित्सा के विशिष्ट क्षेत्रों में स्नातकोत्तर (एमडी/एमएस) कार्यक्रमों के माध्यम से आगे की विशेषज्ञता हासिल करना चुनते हैं।




पाठ्यक्रम की मुख्य विशेषताएं:

अवधि -

5.5 वर्ष (1 वर्ष की अनिवार्य इंटर्नशिप सहित) 

इस पाठ्यक्रम में विषयों को प्री-क्लिनिकल, पैरा-क्लिनिकल और क्लिनिकल चरणों में विभाजित किया गया है।


योग्यता -

विज्ञान विषयों में कक्षा 12वीं (पीसीबी) और एनईईटी यूजी उत्तीर्ण


प्रवेश -

NEET UG के आधार पर (NEET UG का मतलब है नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट - अंडरग्रेजुएट। यह भारत में मेडिकल कॉलेजों में स्नातक पाठ्यक्रमों (जैसे एमबीबीएस, बीडीएस) में प्रवेश के लिए एक प्रवेश परीक्षा है)

मुख्य कॉलेज -
एम्स दिल्ली, एम्स भोपाल, एम्स ऋषिकेश, मेडिकल कॉलेज जबलपुर, जेआईपीएमईआर पुडुचेरी, गाँधी मेडिकल कॉलेज भोपाल, शासकीय मेडिकल कॉलेज रतलाम 

पाठ्यक्रम -

यह डिग्री मेडिकल छात्रों को मेडिसिन और सर्जरी के सिद्धांतों और तकनीकों का विस्तृत ज्ञान प्रदान करती है. 

शुल्क विवरण -
सरकारी कॉलेजों में -एमबीबीएस फीस 10,000 से 50,000 रुपये प्रति वर्ष (लगभग)
निजी कॉलेजों में - एमबीबीएस फीस 4 लाख से 30 लाख रुपये प्रति वर्ष (लगभग)

जॉब प्रोफाइल -

एमबीबीएस डॉक्टर, मेडिकल सर्जन, मेडिकल ऑफिसर, बाल रोग विशेषज्ञ, आदि

वेतन  -

2.5 लाख से 15 लाख रुपये प्रति वर्ष, अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर

Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery (बीएएमएस)

बीएएमएस कोर्स का फुल फॉर्म “बैचलर ऑफ आयुर्वदिक एंड मेडिसिन सर्जरी” (Bachelor of Ayurvedic Medicine and Surgery) है. आयुर्वदिक चिकित्सा क्षेत्र का बैचलर डिग्री कोर्स है. इस कोर्स के बाद कैंडिडेट आयुर्वदिक डॉक्टर या आयुष डॉक्टर बन सकते हैं. इस कोर्स में शरीर क्रिया विज्ञान, शरीर रचना विज्ञान, विष विज्ञान, फार्माकोलॉजी, रोगों से निदान एवं बचाव, नाक, आंख, गले की चिकित्सा, चिकित्सा के सिद्धांत, फोरेंसिक चिकित्सा जैसी विस्तृत जानकारी दी जाती है . आयुर्वेद को लेकर एक प्रमुख बात यह है कि विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए अधिक से अधिक पंचकर्म केंद्र बनाए जा रहे हैं। यही नहीं, देश में प्रत्येक नागरिक अस्पताल में कम से कम एक आयुर्वेदिक चिकित्सक का होना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसे में आयुर्वेद में स्नातक कर रहे छात्रों का भविष्य उज्ज्वल है। आईएएसआई यूनिवर्सिटी के उपकुलपति मिलाप दुगर कहते हैं आयुर्वेद विज्ञान एक अद्वितीय चिकित्सा पद्धति है जिससे न केवल रोग ठीक होता है बल्कि व्यक्ति का उपचार भी होता है। यह उपचार पंचकर्म द्वारा किया जाता है। इस उपचार पद्धति में बढ़ती रुचि ने आयुर्वेदिक डॉक्टरों की मांग बढ़ा दी है।


पाठ्यक्रम

भारत में आयुर्वेदिक शिक्षा सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) द्वारा संचालित की जाती है। आयुर्वेद में साढ़े पांच साल का पूर्व स्नातक कोर्स करने के बाद बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की डिग्री दी जाती है। भारत के आयुर्वेदिक कॉलेज स्नातक स्तर पर आयुर्वेदाचार्य या बीएएमएस की डिग्री प्रदान करते हैं। इसके लिए न्यूनतम योग्यता उच्च माध्यमिक/पीयूसी (संस्कृत के साथ अधिमान्य) या समकक्ष या माध्यमिक (आयुर्वेदिक ग्रुप- भौतिकी, रसायन, जीवविज्ञान और संस्कृत), किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से जो काउंसिल की शर्तें पूरी करता हो। बीएएमएस कोर्स के लिए न्यूनतम आयु 17 वर्ष है।

इंस्टीटय़ूट

आयुर्वेदिक एंड यूनानी तिबिया कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

राजकीय ऋषिकुल आयुर्वेद महाविद्यालय, हरिद्वार

काशी हिंदु विश्वविद्यालय,वाराणसी

राजकीय गुरुकुल कांगड़ी आयुर्वेदिक महाविद्यालय, हरिद्वार

अलीगढ़ आयुर्वेदिक व यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय,

आयुर्वेद महाविद्यालय, वाराणसी

श्री लाल बहादुरशास्त्री मेमोरियल राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, इलाहाबाद

राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, तिरुअनंतपुरम

राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, कन्नूर


प्रवेश परीक्षा


बीएएमएस में प्रवेश तभी मिल सकता है जब छात्र इसकी प्रमुख प्रवेश परीक्षाओं में सफलता हासिल कर ले। इसमें ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम के अलावा राज्य स्तर पर भी कई प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। इस प्रवेश परीक्षा का पाठ्यक्रम बारहवीं पर आधारित होता है। एमबीबीएस की भांति इसमें भी छात्रों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा रहती है I


कोर्स की फीस

BAMS (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) कोर्स की फीस सरकारी और निजी कॉलेजों में अलग-अलग होती है। सरकारी कॉलेजों में, BAMS की फीस लगभग 20,000 से 1,50,000 प्रति वर्ष तक होती है, जबकि निजी कॉलेजों में यह 1,00,000 से 5,00,000 प्रति वर्ष तक हो सकती है I


आय 

BAMS के बाद आय भी अनुभव, विशेषज्ञता और कार्यक्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है। शुरुआती स्तर पर, एक BAMS डॉक्टर की आय 20,000 से 50,000 रुपये प्रति माह तक हो सकती है. अनुभव के साथ, यह 50,000 से 1,00,000 रुपये प्रति माह तक बढ़ सकती है, और कुछ मामलों में, 1 लाख रुपये से अधिक भी हो सकती है. कुछ लोग निजी प्रैक्टिस या व्यवसाय स्थापित करके अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं I





बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी (BHMS)

बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी एक स्नातक डिग्री है, जो होम्योपैथी में करियर बनाने की इच्छा रखने वाले छात्रों के लिए डिज़ाइन की गई है। इस कोर्स में प्राकृतिक उपचारों, चिकित्सा और सर्जरी का गहन ज्ञान प्रदान किया जाता है। होम्योपैथिक दवाएं कम दुष्प्रभावों और अधिक लाभों के साथ लोगों को आकर्षित कर रही हैं, और नई तकनीकों के कारण उपचार की अवधि भी कम हो रही है। होम्योपैथी एक चिकित्सा पद्धति है, जिसमें रोग के उपचार के लिए अत्यंत पतले पदार्थों का उपयोग किया जाता है। इसे सैमुअल हैनिमैन, एक जर्मन चिकित्सक, ने 1790 में विकसित किया था। इसी प्रकार, होम्योपैथिक दवाएं अस्तित्व में आईं और आज कई लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गई हैं।


योग्यता -

मान्यता प्राप्त बोर्ड से कक्षा 12वीं साइंस स्ट्रीम में पास करने वाला छात्र या अंतिम परीक्षा देने वाला छात्र आवेदन कर सकता है। - इसके लिए छात्र को पीसीबी विषयों की नॉलेज होनी अनिवार्य है। - 12वीं में उम्मीदवार के कम से कम 50 प्रतिशत अंक होने अनिवार्य है। - कोर्स में प्रवेश के लिए उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 17 वर्ष की होनी चाहिए।


प्रवेश - 

होम्योपैथिक कोर्स में बैचलर करने की इच्छा रखने वाले उम्मीदवारों को बता दें कि कोर्स में प्रवेश केवल प्रवेश परीक्षा के माध्यम से लिया जा सकता है। कोर्स में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा संस्थान, राज्य और राष्ट्र स्तर पर आयोजित की जाती है। राष्ट्र स्तर पर आयोजित होने वाली प्रमुख प्रवेश परीक्षा है नीट की। बीएचएमएस में प्रवेश प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को नीट यूजी की प्रवेश परीक्षा में हिस्सा लेना होगा और इसके अलावा आयोजित होने वाली प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं।


कॉलेज -

 ईबी गडकरी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज

 गोवा विश्वविद्यालय

बीएफयूओएचएस

श्री महालक्ष्मी महिला होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज

 डॉ अभिन चंद्र होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज

सोलन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल

 लोकमान्य होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, पुणे

जीडी मेमोरियल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, पटना

कलकत्ता होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, कोलकाता

पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति स्वास्थ्य विज्ञान एवं आयुष, रायपुर


रोजगार -

सरकारी और प्राइवेट अस्पताल, क्लीनिक, नर्सिंग होम, मेडिकल कॉलेज,अनुसंधान संस्थान, होम्योपैथिक मेडिसिन स्टोर

बैचलर ऑफ फार्मेसी (B.Pharma)

बैचलर ऑफ फार्मेसी, जिसे संक्षेप में बी.फार्मा (B.Pharma) कहा जाता है, एक प्रतिष्ठित स्नातक डिग्री प्रोग्राम है जो फार्मेसी के क्षेत्र में युवाओं को तैयारी करने के लिए बनाया गया है। यह चार साल का पाठ्यक्रम, दवा निर्माण, वितरण और उपयोग के विभिन्न पहलुओं से छात्रों को परिचित कराने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस कोर्स के माध्यम से छात्रों को पेशेवर फार्मासिस्ट, दवा सुरक्षा विशेषज्ञ, या फार्मास्यूटिकल उद्योग में अन्य महत्वपूर्ण पदों के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से लैस किया जाता है। बी.फार्मा के पाठ्यक्रम में प्रयोगात्मक अध्ययन और सैद्धांतिक जानकारी दोनों का समावेश होता है, जिससे छात्र फार्माकोलॉजी के विभिन्न सिद्धांतों और तकनीकों को अच्छी तरह समझ सकें। इस डिग्री से न केवल छात्रों के कौशल में वृद्धि होती है, बल्कि यह उन्हें प्रतिष्ठित दवा कंपनियों में कार्य करने के लिए तैयार भी करती है।

इस पाठ्यक्रम के माध्यम से छात्र फार्मास्यूटिकल्स के निर्माण और वितरण के व्यावहारिक तथा सैद्धांतिक पहलुओं को विस्तार से सीखते हैं। बी.फार्मा पाठ्यक्रम में छात्रों को फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री, फार्माकोलॉजी, और फार्माकोग्नॉसी जैसे विषयों में विस्तृत जानकारी प्रदान की जाती है। इसके अलावा, यह पाठ्यक्रम छात्रों को टीमवर्क के महत्व, विभिन्न जटिल समस्याओं को हल करने के तरीकों और फार्मास्युटिकल विज्ञान में आवश्यक कौशलों के विकास में मदद करता है।

पाठ्यक्रम

बी.फार्मेसी की चार साल की डिग्री में कुल 8 सेमेस्टर होते हैं, जिनमें हर साल दो सेमेस्टर होते हैं। प्रत्येक सेमेस्टर का पाठ्यक्रम व्यावहारिक और सैद्धांतिक दोनों प्रकार की शिक्षा को सम्मिलित करता है। पाठ्यक्रम में मानव शरीर रचना और शरीर क्रिया विज्ञान, फार्मास्यूटिक्स, औषधि विश्लेषण, कार्बनिक रसायन विज्ञान, जैव रसायन, जीवविज्ञान, उपचारात्मक गणित, फार्मेसी में कंप्यूटर अनुप्रयोग, फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग, औषधीय रसायन शास्त्र, पर्यावरण विज्ञान और संचार कौशल शामिल होते हैं।

कोर्स फीस

बी.फार्मेसी कोर्स की फीस आमतौर पर 40,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये प्रति वर्ष तक होती है। यह फीस विभिन्न कॉलेजों या विश्वविद्यालयों की प्रतिष्ठा, सुविधाओं और शैक्षणिक मानकों के आधार पर भिन्न हो सकती है। प्रवेश के लिए छात्रों को दी जाने वाली परीक्षा जैसे कि प्रवेश परीक्षा परिणाम भी फीस में भिन्नता लाने वाले तत्व हो सकते हैं।



प्रवेश प्रक्रिया

भारत में, विभिन्न संस्थान, कॉलेज और विश्वविद्यालय आमतौर पर बी.फार्मेसी कार्यक्रम में प्रवेश देने के लिए मेरिट के आधार पर काम करते हैं। कई संस्थान विभिन्न प्रवेश परीक्षा के परिणामों के आधार पर भी छात्रों को स्वीकार करते हैं। कुछ विश्वविद्यालय ऐसे हैं जो दोनों—प्रवेश परीक्षा और मेरिट—के संयोजन का उपयोग करते हैं। छात्रों के पास 10+2 की शिक्षा पूरी करने के बाद राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रवेश परीक्षा में बैठने का विकल्प होता है।

उन्हें स्नातक स्तर की परीक्षा देने का मौका मिलता है, जैसे:

- फार्मेसी एप्टीट्यूड टेस्ट (GPAT),
- राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA),
- राष्ट्रीय औषधि शिक्षा संस्थान अनुसंधान संयुक्त प्रवेश परीक्षा (NIPER JEE)


वेतन

फार्मेसी का क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जो निरंतर विकास की ओर अग्रसर है। यदि आप बी.फार्मेसी को अपने करियर के रूप में चुनते हैं, तो आपको हमेशा आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे और आप कभी निराश नहीं होंगे। बी.फार्मेसी से स्नातक होने के बाद, प्रारंभिक वेतन की अपेक्षा 0.5 लाख से 0.4 लाख रुपये प्रतिमाह हो सकती है, और समय के साथ, आपके अनुभव और कौशल में वृद्धि के कारण यह वेतन भी बढ़ता जाएगा। इस पेशे में प्रगति के लिए निरंतर सीखना और विकास एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी (BPT)


बीपीटी (BPT), जो कि बैचलर ऑफ फिजियोथेरेपी का संक्षिप्त रूप है,

 BPT कोर्स एक यूजी डिग्री है जो शारीरिक विकलांगता और मूवमेंट डिसऑर्डर के मूल्यांकन, निदान और उपचार पर केंद्रित है । BPT कोर्स की अवधि 4 साल है, जिसमें एक अनिवार्य इंटर्नशिप भी शामिल है।एक 4.5 साल का स्नातक कार्यक्रम है जो छात्रों को शारीरिक विकलांगता और गति के विकारों का मूल्यांकन, निदान और उपचार करने के लिए तैयार करता है. इसमें व्यायाम चिकित्सा, इलेक्ट्रोथेरेपी, रेडियोलॉजी और इमेजिंग तकनीक, आर्थोपेडिक्स और ट्रॉमेटोलॉजी और सामान्य चिकित्सा जैसे विषयों पर व्यावहारिक विशेषज्ञता प्रदान की जाती है. यह कार्यक्रम व्यायाम चिकित्सा, इलेक्ट्रोथेरेपी, रेडियोलॉजी और इमेजिंग प्रौद्योगिकी, ऑर्थोपेडिक्स और ट्रॉमेटोलॉजी और सामान्य चिकित्सा सहित विषयों पर व्यावहारिक विशेषज्ञता प्रदान करने पर केंद्रित है।
कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को चिकित्सीय व्यायाम और इलेक्ट्रो-फिजिकल तौर-तरीकों के अनुप्रयोग जैसे मुख्य फिजियोथेरेप्यूटिक कौशल के बारे में उन्नत स्तर पर प्रशिक्षित करना है, जो पीठ, रीढ़, गर्दन, कंधे और पैरों से संबंधित कई बीमारियों और विकलांगताओं को ठीक कर सकते हैं।


अवधि :

4 वर्ष (8 सेमेस्टर)


योग्यता :

विज्ञान स्ट्रीम में कक्षा 12 पीसीबी/एम के साथ।


प्रवेश :

मुख्य रूप से कक्षा 12 के अंकों के आधार पर, लेकिन KCET, IPU CET, LPU NEST, NEET आदि के अंक भी स्वीकार किए जाते हैं। 


कॉलेज :

एम्स दिल्ली , किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज जबलपुर, जेआईपीएमईआर पुडुचेरी, गाँधी मेडिकल कॉलेज भोपाल, जेआईपीएमईआर पुडुचेरी , बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, आदि।


पाठ्यक्रम

एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, बायोमेकेनिक्स आदि जैसे विषयों को शामिल करता है।


शुल्क :

सरकारी कॉलेज 40,500 रुपये से 7.8 लाख रुपये तक (लगभग)

निजी कॉलेज  3.2 लाख रुपये से 34 लाख रुपये तक (लगभग)


जॉब प्रोफाइल :

फिजियोथेरेपिस्ट, शोधकर्ता, व्याख्याता, होम केयर फिजियोथेरेपिस्ट, खेल फिजियोथेरेपिस्ट और पुनर्वासकर्ता, मेडिकल कोडिंग विश्लेषक, आदि।


वेतन सीमा :

2 लाख रुपये प्रति वर्ष - 8 लाख रुपये प्रति वर्ष, अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर