शायरी एक अचूक माध्यम है अपने विचार अपनी मन की बात बयां करने का , हमारे फ़ोन के स्टेटस महज साधारण लाइन्स नहीं होते बल्कि उनका प्रभाव हमारे प्रति लोगों का नजरिया भी बदल देता है I हम रोज सोशल मीडिया जिसमे व्हाट्सएप्प, फेसबुक, इंस्टाग्राम etc. पर जो स्टेटस अपडेट करते है, वो हमारी पर्सनालिटी को भी रिफ्लेक्ट करता है I शायरी सबसे ज्यादा प्रभाव डालने वाला माध्यम है क्यूंकि एक लाइन सभी लोग पूरी पढ़ लेते है साथ ही एक लाइन में वजन हो तो वो औरा क्रिएट करती है जिससे लोगों का नजरिया हमारे प्रति और सकारात्मक और गंभीर होता जाता है I ये स्टेटस लोग अपनी गंभीरता के हिसाब से चयन करते है, जिससे उनका व्यक्तित्व भी परिलाक्षित होता है I आपके साथ भी कई सारे लोग के सोशल मीडिया से जुड़े होंगे I आप भी कई लोगों के स्टेटस देखते होंगे, लेकिन उन सारे लोगों में सिर्फ कुछ चुनिंदा ही ऐसे होंगे जिनके स्टेटस आप पढ़ते होंगे I और उनकी छवि आपकी नज़रों में अच्छी होगी I ठीक ऐसे ही बहुत सारे लोग चाहे वो आपके ऑफिस के लोग हों, दोस्त हो, या रिस्तेदार हों, वो भी आपके स्टेटस देखते होंगे ऐसे में आपके स्टेटस सटीक होंगे तो धीरे धीरे आप उनकी नज़रों में एक गंभीर व्यक्ति वन सकते है हो सकता है की आप उनके किसी किसी क्षेत्र में रोल मॉडल भी बन जाएँ..
निखर जाती है मेरी मोहब्बत
तेरी आजमाइश के बाद
सवरता जा रहा है ये इश्क
तेरी हर फरमाइश के बाद I
ऐसा लगता है कोई भूल रहा है धीरे धीरे..
कहते हैं वक्त हर जख्म को भर देता है, पर ये दिल किसी और की बात सुनता ही नहीं।
तेरे बिना जिन्दगी तो चल रही है, मगर धड़कनों में वो बात अब बची ही नहीं।
तू मेरे लिए वो अहसास है,
जिसमें हर पल एक जज्बात है,
तेरे बिना मैं अधूरा हूं,
तेरी मोहब्बत से ही मेरी दुनिया खास है।
है इश्क तो फिर असर भी होगा,
जितना है इधर उधर भी होगा I
कभी टूटा नहीं मेरे दिल से तेरी यादों का रिश्ता.. गुफ़्तगू किसी से भी हो ख़याल तेरा ही रहता है I
पता नहीं कितना प्यार हो गया है तुमसे……. नाराज होने पर भी तुम्हारी बहुत याद आती है I
मसला नहीं की मोहब्बत हो गयी है मला तो ये है की बेसुमार हो गयी है I
कैसी लत लगी है,
तेर दीदार की,
बात करो तो दिल नही भरता,
ना करो तो दिल नही लगता I
जरूरी नहीं की हम सबको पसंद आए
बस जिंदगी ऐसे जियो के रब को पसंद आए I
हंसकर जीना ही दस्तूर है जिंदगी का
एक यही किस्सा मशहूर है जिंदगी का I
वो मुझसे बिछड़ा तो बिछड़ गई जिंदगी
मैं जिंदा तो रहा मगर जिंदो में न रहा I
थका हुआ हु थोड़ा जिंदगी भी थोड़ी नाराज है
पर कोई बात नही ये तो रोज की बात है I
जिंदगी छोटी नहीं होती है,
जनाव लोग जीना ही देर से शुरू करते हैं I
कभी मिलेगी खुशियां कभी मिलेंगे गम,
हमदर्द की क्या जरूरत अकेले काफी हैं हम I
पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं,
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं I
ऐसा नहीं है कि अब तेरी जुस्तजू नहीं रही,
बस टूट कर बिखरने की आरजू नहीं रही I
करते होंगे लोग चेहरा देखकर मोहब्बत,
मैंने तो तेरी गुस्सैल आंखों पर दिल हारा है I
हमे निंद से भी इश्क हैं क्योंकी
खयाल तेरा आता हैं I
कुछ तो जादू है तेरे नाम में,
नाम सुनते ही चहरे पर मुस्कान आ जाती है I
हर परेशानी में सबसे पहले,
तुमसे बात करने को दिल करता है I
शाम की उदासी में यादों का मेला है,
भीड़ तो बहोत है पर मन अकेला है I
ये तो सच है ये ज़िन्दगानी उसी को रुलाती है,
जिसके आँसू पोछने बाला कोई नही होता है I
बेशुमार जख्मों की मिसाल हूं मैं,
फिर भी हंस लेता हूं कमाल हूं मैं I
सुकून से जीना है तो,
उम्मीद मत रखना किसी से I
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है I
मिर्ज़ा ग़ालिब
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम,
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता I
अकबर इलाहाबादी
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है I
मिर्ज़ा ग़ालिब
ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने,
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई I
मुज़फ़्फ़र रज़्मी
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
जिगर मुरादाबादी
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
अहमद फ़राज़
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
राहत इंदौरी
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ
अनवर शऊर
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब'
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
मिर्ज़ा ग़ालिब
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
- निदा फ़ाज़ली
वहम से भी खत्म हो जाते हैं अक्सर रिश्ते,
कसूर हर बार गलतियों का नहीं होता I
दिल लगाके ठुकराए हुए लोग हैं हम,
अफ़सोस कीजिए, किनारा कीजिए, सबक लीजिए I
क्या कहा फिर से मोहब्बत करूँ?
मौत दुबारा भी आती है क्या I
हंस तो रहे हैं दुनिया के रूबरू लेकिन,
एक उदासी है जो हलक तक भरी हुई है I
मोहब्बत “सब्र” के सिवा कुछ नहीं,
मैंने हर इश्क को इंतज़ार करते देखा है I
मुझसे करके अपनी मसरूफ़ियत का बहाना,
वो लगातार किसी और से ताल्लुक़ में है I
बहुत ज़ोर से हंसा मैं बड़ी मुद्दतों के बाद,
आज फिर किसी ने कहा, “मेरा एतबार कीजिए I
मोहब्बत मुख़्तसर भी हो तो,
भूलने में ज़िंदगी बीत जाती है I
कभी-कभी खुद की बहुत याद आती है,
कितना खुश रहा करता था मैं I